"बेबाक हूठमैं, विचारों में आग लिठफिरती हूठ| मत समà¤à¤¨à¤¾ कमजोर मà¥à¤à¥‡, à¤à¤¸à¤¾ हौसला साथ लिठफिरती हूठ| विनीता à¤à¤•à¥à¤•à¤¾ परिंदा हूठमैं, पूरा आसमाठजिद मैं रखती हूठ| बेबाक़ हूठमैं, जà¥à¤¬à¤¾à¤ पर सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ व इरादों में मंज़िल रखती हूठ। नेहा मंगलानी ज़ब मंज़िल पाने की जो ठान लेता है बंदा | बनना पड़ता है उसे इरादों से बेक़ाब परिंदा | âœï¸ शेख अहमद जमाल मंसूरी ""ज़मी पर पाà¤à¤µ हैं और आसमान तकता है | आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ यूठही आà¤à¤–ों में चमकता है"" | निहारिका सिंह"
MERE JAZBAT
₹300.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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