300

BEBAK PARINDA

(0 customer review)

"बेबाक हूँ मैं, विचारों में आग लिए फिरती हूँ | मत समझना कमजोर मुझे, ऐसा हौसला साथ लिए फिरती हूँ | विनीता एक्का परिंदा हूँ मैं, पूरा आसमाँ जिद मैं रखती हूँ | बेबाक़ हूँ मैं, जुबाँ पर सच्चाई व इरादों में मंज़िल रखती हूँ । नेहा मंगलानी ज़ब मंज़िल पाने की जो ठान लेता है बंदा | बनना पड़ता है उसे इरादों से बेक़ाब परिंदा | ✍️ शेख अहमद जमाल मंसूरी ""ज़मी पर पाँव हैं और आसमान तकता है | आत्मविश्वास यूँ ही आँखों में चमकता है"" | निहारिका सिंह"

BUY NOW

Publisher: Author:

ISBN: 9789390451043 | Language: English | Pages: 241
Category:

Meet The Author

" My books are marked down because most of them are marked with a on the edge by publishers. "

0 review for BEBAK PARINDA

No reviews to display.
Add a review

Your email address will not be published. Required fields are marked *