"इस यà¥à¤µà¤¾ आज़ाद देश में आखिर कितनी आज़ाद हैं हम महिलाà¤à¤‚? वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में आजादी के मायने मà¥à¤à¥‡ बदले हà¥à¤ नजर आते हैं। आज आजादी की सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• चरà¥à¤šà¤¾ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ को लेकर होती नजर आती है। आठदिन अखबारों के पनà¥à¤¨à¥‡ काली सà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ से à¤à¤°à¥‡ होते हैं, सà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ समाचारों से। हैरान करने वाली बात ये है की à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे धरà¥à¤®à¤à¥€à¤°à¥ देश में जहाठपर नारी को देवी का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया जाता है, इतना घिनौना अपराध, इतनी हैवानियत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?हमारा सविंधान हर à¤à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ को, चाहे वह सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ हो या पà¥à¤°à¥à¤·, बराबर के अधिकार देता है। परंतॠयह केवल संविधान की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• तक ही सीमित रह गया है। आम मानस पटल तक यह विचार पहà¥à¤à¤š ही नहीं पाया। नारी की देह, उसकी अपनी समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ है। उसे नियमों में, मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ में बांधने का निरà¥à¤£à¤¯ केवल उसका अपना है। किसी à¤à¥€ अनà¥à¤¯ को उसका चरितà¥à¤° हनन करने या, उसकी असà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ से खिलवाड़ करने का कोई हक़ नहीं। कà¥à¤¯à¤¾ समाज को अपनी सोच में परिवरà¥à¤¤à¤¨ नहीं लाना चाहिà¤? उसे समाज में अपनी मरà¥à¤œà¥€ से जीने का अधिकार नहीं है? कà¥à¤¯à¤¾ वह देर रात घर से बाहर नहीं निकल सकती... कà¥à¤¯à¤¾ उसे खà¥à¤¦ के निरà¥à¤£à¤¯ लेने की आजादी à¤à¥€ नहीं है| ये कà¥à¤¯à¤¾ बात हà¥à¤ˆ कि पिता के घर में उसके निरà¥à¤£à¤¯ मायके वाले लेगें और ससà¥à¤°à¤¾à¤² में उसके ससà¥à¤°à¤¾à¤² वाले?आज वà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° की ये जो लहर समाज में फेंल रही है, इसका उतà¥à¤¤à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥€ कौन है? “हम सà¤à¥€â€ हम सब इसके जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है| हम महिलाओं के छोटे कपडे, उघडे शरीर और सिनेमा को दोषी ठहरा कर अपना पलà¥à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¥œ सकते है पर कà¥à¤¯à¤¾ हम कà¤à¥€ अपने संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹ को, अपनी परवरिश को ज़िमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° ठहराते हैं? महज नारी मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ या नारी सशकà¥à¤¤à¥€à¤•à¤°à¤£ का नारा बà¥à¤²à¤‚द करने से सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ नहीं सà¥à¤§à¤° सकती। शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ अपने घर से करनी होगी।"
AAzadi
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Vaishali Chaudhary –
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