"ख़à¥à¤¦ को जानने में मà¥à¤à¥‡ डर लगता हैं,बहà¥à¤¤ गà¥à¤¨à¤¾à¤¹ किये ता-उमà¥à¤°, अब तो यह गà¥à¤¨à¤¾à¤¹à¥‹ की दलदल à¤à¥€,अपना घर लगता हैं। बलजिंदर सिंह ""जिंद"" हमारे मà¥à¤¹à¤¬à¥à¤¬à¤¤ की मासूमियत उस नोटबà¥à¤• के आखिरी पनà¥à¤¨à¥‡ तक ही क़ामिल थी, जिस दिन वो नावेल के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ के बीच आई,कमबख़à¥à¤¤ बाज़ारू हो गई । उतà¥à¤¸à¤µ ""कावà¥à¤¯"" इबादत की तामीर अब हो गई है, जिंदगी कà¥à¤¯à¤¾ थी और कà¥à¤¯à¤¾ हो गई है। तजà¥à¤°à¥à¤¬à¥‡ à¤à¤¸à¥‡ मिले, की हर वो पेज में, पà¥à¤•à¤° दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ खूबसूरत हो गई है। जमाल रज़ा मंसूरी मेरे मौला तेरी इबादत की तामीर बनाना चाहती हूठज़िंदगी का हर इक लमà¥à¤¹à¤¾ तेरे नाम करना चाहती हूà¤à¥¤ â¤â¤à¤ªà¥à¤°à¤µà¥€à¤£à¤¾ कोई दौलत तो कोई दिल से अमीर होते है, हम तो घायल इबादत की तामीर से होते है। जयलाल कलेत"
Amodini Syaahi
₹350.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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