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Ruhaani Kahani - Kalam ki zubaan

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रूहानी कहानी...….. क़लम की ज़ुबानी ! जैसे की नाम में ही बयां हो जाता है कि इस क़िताब में रुह की कशिश को समेटा गया है। हर इंसान की जिंदगी में कुछ लम्हें, कुछ यादें ऐसी होती हैं जिनको वो दोबारा जीना चाहता है या फिर ये कहना सही होगा कि उन सभी लम्हों को वो खुद में, दिल के किसी कोने में छुपा कर रखता है और जब भी खुद के साथ वक्त बिताना हो वो उन सब लम्हों को और यादों को अपनी रुह के साथ जीने के लिए निकल पड़ता है। कहीं ना कहीं मुझे लगता है कि मेरी कविताएं और गजलें आपको अपनी जिन्दगी से जोड़ने में मददगार साबित होंगी।इस क़िताब में अपने उन लम्हों को जो मेरे दिल के करीब रहे हैं, शब्दों के माध्यम से बयां कर रही हूं। ये मेरी पहली किताब है जिसमे मैंने अपने दिल और रुह के सभी ज़ज्बातों को लिखने की कोशिश की है। इश्क़, मोहब्बत और प्यार के अनगिनत रूप है। कभी ये सुकून बनता है तो कभी दर्द, कभी जुदाई बन कर आंसू दे जाता है। इश्क़ के इन सभी रूपों को मैंने रूहानी कशिश के साथ पेश किया है। इसी तरह जिन्दगी के भी अपने अलग रूप और मायने होते हैं। हर इंसान जिन्दगी को एक अलग ही अंदाज में देखता है और जीता है। मेरे लिए जिन्दगी के जो मायने है और उसके अलग अलग पहलुओं पर मैंने शब्दों के जरिए थोड़ा बहुत प्रकाश डालने की कोशिश की है।

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ISBN: 978-81-947970-2-9 | Language: Hindi | Pages: 66
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" My books are marked down because most of them are marked with a on the edge by publishers. "

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