"कà¥à¤› बातें…. ‘ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी ढूंॠलेते हैं ’….. ये ग़ज़ल बहà¥à¤¤ खास है, यूं कहें की यह हमारी à¤à¤• नज़à¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ है। ज़िनà¥à¤¦à¤—ी बड़ी तजà¥à¤°à¥à¤¬à¥‡ वाली रही जनाब ! कà¤à¥€ नमकीन… कà¤à¥€ दिलचसà¥à¤ªâ€¦.. कà¤à¥€ खूंखार…. कà¤à¥€ हंसी-ठिठोली… कà¤à¥€ मज़ाक…. कà¤à¥€ परीकà¥à¤·à¤¾â€¦ कà¤à¥€ परेशानी…. कà¤à¥€ मेहरबान… कà¤à¥€ सवाल… फिर कà¤à¥€ à¤à¤• उमà¥à¤®à¥€à¤¦â€¦ फिर कà¤à¥€ à¤à¤• जवाब… कà¤à¥€ सपने.. फिर à¤à¤• दफा मोहबà¥à¤¬à¤¤.. फिर धोखा… फिर दरà¥à¤¦.. फिर तकलीफ.. फिर बिछ़डना… फिर गम… बेहिसाब.. फिर बदला लेकिन आधा – अधूरा, फिर इशà¥à¤•à¤¼ दोबारा और ज़िनà¥à¤¦à¤—ी का सफर यूं ही चलता रहा और फिर सिरà¥à¤« यादें। नहीं मालूम कहाठजा रहे हैं… कितना दूर और जाना हैं… अकेले या फिर । कà¥à¤› यूं कहें कि ढूंढने चल पड़े हैं ज़िनà¥à¤¦à¤—ी को । कà¥à¤¯à¤¾ वाकई मिल जाà¤à¤—ी वो.. जिसकी हमें तलाश है । ये कवीता शायरी लिखने का सफर 2002 से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† जो कि आज जà¥à¤¨à¥‚न बन कर इस लहू मे दौड़ रहा हैं । ज़िनà¥à¤¦à¤—ी मे मिला सबसे पहला पà¥à¤¯à¤¾à¤° ‘परिवार’ । अगर आप ना होते तो मैं à¤à¥€ ना होती। फिर à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ अà¤à¥€ तक मेरे सवालों के जवाब नहीं मिले। शायद सà¤à¥€ सवालों के जवाबों को मैंने अपने कविताओं में ढूंढना चाह पर फिर à¤à¥€ अà¤à¥€ तक अंजान हूं। फिर à¤à¥€ ज़िनà¥à¤¦à¤—ी को ढूंढने की तलाश जारी है। अब तक जितना समà¤à¤¾ है वो यही है कि जो मिले उसे ‘Accept’ कर लो । हम जो à¤à¥€ हैं हमारे ‘माà¤- पिता परिवार’ की बदौलत । कहीं बात संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ निकली है । बहà¥à¤¤ कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नहीं शà¥à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ‘मायावी परिवार’ का मेरे पति देव का जिनका यह कहना है कि लिखना अगर मेरा “Passion†है तो उसे बीच राह में मत छोड़ो । और विशेषतः मेरे नाना जी को पर वो अब हमारे बीच नहीं हैं। उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ से आगे लिखते रहने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¨à¤¾ मिली । बाकी मेरे ज़हन मे यह सवाल अà¤à¥€ à¤à¥€ यह उथल- पà¥à¤¥à¤² मचा रखा है कि---- “*आखिर ज़िनà¥à¤¦à¤—ी कहाठहैं ।* â€"
Zindagi Dhund Lete Hai
₹199.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
Nikhil –
क़िताब पà¥à¥€ ......सà¤à¥€ रचनाà¤à¤ सरल सà¥à¤—म à¤à¤‚वम ताज़गी से ओतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ ......बधाई की पातà¥à¤° हैं ज़िंदगी ढूंढ लेते है कि लेखिका।...ðŸ‘ðŸ»âš¡ðŸ’«âœ¨ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»ðŸ‘ðŸ»
Sudha –
सà¤à¥€ रचनाà¤à¤‚ बेहद खूबसूरत। हर कविता à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ से अवगत कराती है। बहà¥à¤¤ करीब से जान कर लिखा है लेखिका चारू शरà¥à¤®à¤¾ जी ने। बधाई, बधाई...👌👌🙌🙌
Kanika –
The bitter truth of life has been conveyed which the tenageer of today is afraid to express his feeling. The harsh truth is also somewhere, so is the feeling of love elsewhere. Life is restless, and restlessness is traced through the words in them. Many many compliments for you.âœï¸ðŸ‘ŒðŸ”¥ðŸ”¥