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Hasrat - e- izhar

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"ये नन्हा सा दिल न जाने क्या-क्या सोचता रहता है, कभी कुछ कहने, कभी कुछ बयां करने को मचलता है। एक झिझक सी हर पल मुझे क्यों यूँ रोक सी लेती है, बता ना, ऐ दिल, इज़हार करने से क्यों यूँ मुझे टोक देती है। बस जब भी अपने नन्हें से दिल की बात दूजे दिल तक पहुँचाने की हो क़वायद, सुन! ऐ मेरे बेताब हृदय, न रोक मुझे, न टोक मुझे, करने दे इज़हार, है यही रवायत।"

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ISBN: 978-93-5452-973-3 | Language: Hindi | Pages: 82
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