पिता à¤à¤• समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ चरितà¥à¤° किताब के शीरà¥à¤·à¤• से ही साफ साफ दिखाई पड़ रहा है कि ये किताब किस पर लिखी गई है और कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ लिखी गई है हम सà¤à¥€ हमारी मां की ममता को आसानी से देख लेते है पर हम हमारे पिता का समरà¥à¤ªà¤£ नहीं पाते है ना ही महसूस कर पाते है इसी समरà¥à¤ªà¤£ को दिखाने के लिठहमारे लिखको ने अपनी खूबसूरत रचनाओं से पिता के à¤à¥€à¤¤à¤° छिपी कोमलता को बताने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है शायद इस किताब को पढ कर आप सà¤à¥€ को à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो जाà¤à¤—ा की पिता का संपूरà¥à¤£ जीवन हम पर ही समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ होता है
Pita
₹299.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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