साल २०२० à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ आपदा लेकर आया है की तमाम दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ जैसे किसी खौफ मैं जीने को मजबूर हो गई है. हमारे मà¥à¤²à¥à¥˜ में à¤à¥€ वबà¥à¤¬à¤¾ और मरà¥à¤°à¥€ का मंज़र नज़र आता है. शायद किसी ने सोचा à¤à¥€ ना था की हम अपनों से पास होकर à¤à¥€ कितना दूर हो जायेंगे.. मज़दूरों ने कà¤à¥€ ये सोचा ना था की वो इस तरह अपनी रोज़ी रोटी से à¤à¥€ मजबूर हो जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो हज़ारो किलोमीटर पैदल à¤à¥€ चले जायेंगे... किसी ने ये सोचा ना था की वो घरो मैं à¤à¥€ कैद हो जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो à¤à¤• दूसरे पे इस तरह से शक करेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो इतने दानी बन जायेंगे.. किसी ने ये सोचा ना था की वो किसी की à¤à¥€ मदद करने को तैयार हो जायेंगे.. बहà¥à¤¤ बदलाव हो गया है इस कोरोना काल मैं.. उसी की मारà¥à¥žà¤¤ मैंने इस किताब मैं लोगो की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ और उस कोरोना काल के माहौल को पिरोया है... उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है आप को पसंद आà¤à¤—ी...
तपà¥à¤¸à¤°à¤¾-à¤-हालात
₹200.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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