"शà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ मोहन ने à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤ बैंक में लगà¤à¤— ३५ वरà¥à¤· तक अनेक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पदों पर कारà¥à¤¯ किया है। बैंक सेवा में आने से पूरà¥à¤µ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤• समाजसेवी संसà¥à¤¥à¤¾ में à¤à¤• सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ के रूप में कारà¥à¤¯ किया है। उनकी कविता संगà¥à¤°à¤¹ 'है कोई जवाब?' समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उनके दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£, मौलिक सोच, समाज में उचà¥à¤š मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हेतॠउनकी आशा व पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ को परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ करती हैं। उनके समाज से कई जà¥à¤µà¤²à¤‚त पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¥€ हैं। सà¤à¥€ कविताà¤à¤ जीवंत, सारगरà¥à¤à¤¿à¤¤, पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक, सतà¥à¤¯ घटनाओं पर आधारित तथा अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषयों पर कवि की मनःसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का आईना हैं। तथा समाज को चिंतन हेतॠमज़बूर करती हैं।"
Hai koi Jawab?
₹150.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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