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Dehliz e Dil

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"हम अपने होश और जोश खो बैठे हैं तब से, 'दहलीज ए दिल' पर दस्तक हुई हैं जब से। -जगदीश ठाकोर दहलीज-ए-दिल, दिल का क्या कहना जनाब दिल तो चुपके से ही दहलीज में दस्तक देते है , साहब आप मानो या ना मानो दिल का काम ही है दहलीज-ए-दिल में दस्तक देना....। सुधा बघेल.... दहलीज-ए -दिल पर हुई जब से दस्तक तुम्हारी, कसम से प्रिये,जान बसने लगी तुममें हमारी। - योगेन्द्र सिंह "

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ISBN: 978-93-5452-374-8 | Language: English | Pages: 150
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" My books are marked down because most of them are marked with a on the edge by publishers. "

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