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Sacchai Ki Murat

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"अंत ही अनंत है ये कहानी है एक ऐेसे सच्चे प्रेम की, जिसे भावनाओं के शब्दों से सींचा गया है, जिसे हम महज़ एक संयोग कहें या एहसासों की ज़मीन जिस पर प्रेम के बीज बोये गए। जैसे श्री कृष्ण का प्रेम राधा के लिए पावन था, जिसमें ना मोह, ना माया, ना छल और ना कपट, बस निस्वार्थ प्रेम रहा; अंत से अनंत तक। राधा जैसे पवन मन की मूरत, जिनके हृदय में सिर्फ श्री कृष्ण, आँखों में श्री कृष्ण, साँसों में श्री कृष्ण, उनके रोम-रोम में श्री कृष्ण बसे हुए थे। ये युगांतर का यथार्थ अद्भुत आत्माओं का संयोग था। राधे नाम जैसे ही श्री कृष्ण के मुँख से निकलता वैसे ही संसार की सारी पीड़ाएँ ख़त्म हो जाती। यही प्रेम है जो संवेदनांओ को शाश्वत रखता है।"

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ISBN: 978-93-5452-602-2 | Language: Hindi | Pages: 69
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