"अंत ही अनंत है ये कहानी है à¤à¤• à¤à¥‡à¤¸à¥‡ सचà¥à¤šà¥‡ पà¥à¤°à¥‡à¤® की, जिसे à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ से सींचा गया है, जिसे हम महज़ à¤à¤• संयोग कहें या à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की ज़मीन जिस पर पà¥à¤°à¥‡à¤® के बीज बोये गà¤à¥¤ जैसे शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का पà¥à¤°à¥‡à¤® राधा के लिठपावन था, जिसमें ना मोह, ना माया, ना छल और ना कपट, बस निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® रहा; अंत से अनंत तक। राधा जैसे पवन मन की मूरत, जिनके हृदय में सिरà¥à¤« शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, आà¤à¤–ों में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, साà¤à¤¸à¥‹à¤‚ में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£, उनके रोम-रोम में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ बसे हà¥à¤ थे। ये यà¥à¤—ांतर का यथारà¥à¤¥ अदà¥à¤à¥à¤¤ आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं का संयोग था। राधे नाम जैसे ही शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के मà¥à¤à¤– से निकलता वैसे ही संसार की सारी पीड़ाà¤à¤ ख़तà¥à¤® हो जाती। यही पà¥à¤°à¥‡à¤® है जो संवेदनांओ को शाशà¥à¤µà¤¤ रखता है।"
Sacchai Ki Murat
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