"लेखकी' का दीया कà¥à¤› यूठजल रहा है, जैसे उगता हà¥à¤† सूरज निकल रहा है। - गौरव पाल लेखकी, संवेदनशील वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ उदगार हैं। अपनों से अपनापन अपनाने की, सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° विधा है। अवसाद और सà¥à¤–à¤à¤¾à¤µ, को संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ की अनà¥à¤ªà¤® कला है। - डॉ रीता सकà¥à¤¸à¥‡à¤¨à¤¾ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की अनवरत गूà¤à¤œà¤¤à¥€ सरगम है ये लेखकी, समà¥à¤à¤¾à¤²à¥‡ हैं कà¥à¤› दरà¥à¤¦, पाले हैं ग़म, तब, जाके आयी ये मौसिक़ी । ©डॉ मोनिका जौहरी खà¥à¤¶à¥€, गम , जज़à¥à¤¬à¤¾à¤¤, कटाकà¥à¤· सब मेरे करीबी है, लेखिनी मेरी आतà¥à¤®à¤¾ है मृतà¥à¤¯à¥ है मेरी जीवनी है।। पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ जो कलम और काग़ज़ के मिलन से उमड़ते à¤à¤¾à¤µ दिल छू जाà¤à¤, à¤à¤¸à¥€ ही कवि की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से लेखकी à¤à¤• कला बन जाà¤à¥¤ - पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª सोरोरी"
Lekhaki Ek Kala
₹300.00Quis autem vel eum iure reprehenderit qui in ea voluptate velit esse quam nihil molestiae consequatur, vel illum qui dolorem eum fugiat quo voluptas nulla pariatur erit qui in ea voluptate
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