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HALKI BARISH SI ZINDAGI

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"कभी खिलखिलाती बागवान तो कभी हल्की धुंध सी है जिंदगी, कभी कड़कड़ाती धूप तो कभी, हल्की बारिश सी है जिंदगी। जयलाल कलेत इक बार जो मन से उतर गया फिर ना वो इस मन में उतरा कभी। बेशक हुई मुहब्बत की बारिश मगर मिला नहीं इक क़तरा कभी। ❤❤प्रवीणा सौंधी मिट्टी की खुशबू करती है, प्यार के एहसासों की बन्दगी। सावन की बूंदों जैसी है हल्की बारिश सी तेरी मेरी जिंदगी । मेघ प्रकाश शेरपा कशिश तेरे प्यार की हम भुला ना पाए , हुई जो हल्की बारिश, हम तेरे याद में फिर भीगने चले आए। रूह की तापिश ,थी आज जरूर मिलोगे तुम , बारिश की इन हल्की हल्की बूंदो में कही जरूर दिखोगे तुम। श्रद्धा सोनी कभी बेजा़र तो कभी बेहिसाब जिंदगी। कभी ग़ज़ल तो कभी, मेहरबान जिंदगी। बहाव मोड़ें,बहाव जोड़े, हल्की बारिश सी जिंदगी । डाॅ रीता सक्सेना"

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ISBN: 978-93-5452-051-8 | Language: Hindi | Pages: 160
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" My books are marked down because most of them are marked with a on the edge by publishers. "

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