Manikesh Kumar
"" तà¥à¤® लौट आना उमà¥à¤° जब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ चेहरे पà¤"
मणिकेश कà¥à¤®à¤¾à¤° 'मोकामा' मणिकेश कà¥à¤®à¤¾à¤° का जनà¥à¤® बिहार के पटना जिले के à¤à¤• छोटे शहर मोकामा में हà¥à¤†à¥¤ मोकामा से उनका लगाव इतना है कि वो अपने नाम में मणिकेश कà¥à¤®à¤¾à¤° के साथ ‘मोकामा’ à¤à¥€ लगाते हैं। उनका मानना है कि à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने के लिठसबसे अचà¥à¤›à¤¾ माधà¥à¤¯à¤® कविता ही है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कई अलग-अलग विषयों पर कविताà¤à¤ लिखी हैं । मणिकेश रकà¥à¤·à¤¾ विà¤à¤¾à¤— में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं और वहाठहर साल होने वाले हिंदी पखवाड़े या अनà¥à¤¯ आयोजनों में इनकी कविताओं को कई दफा पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•à¥ƒà¤¤ किया गया है। ‘वन-वे इशà¥à¥˜â€™ मणिकेश की पहली किताब है और वे इस किताब को अपने पहले इशà¥à¥˜ के रूप में à¤à¥€ देखते हैं। आप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने विचार मेल कर सकते हैं। ईमेल:- [email protected] पता:- सकरवार टोला, मोकामा जिला:- पटना (बिहार) पिन:- 803302 मोबाइल नमà¥à¤¬à¤°:- 9471645726 " तà¥à¤® लौट आना उमà¥à¤° जब तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ चेहरे पर सिलवटों के रूप में पड़ी होंगी समय ने चाà¤à¤¦à¥€ की बारीक तारों से बींध दिठहोंगे तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ बाल और आà¤à¤–ें तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ धà¥à¤à¤§à¤²à¥€-सी चादर ओà¥à¥‡ ढूà¤à¥ रही होगी मà¥à¤à¥‡ तब तà¥à¤® लौट आना मà¥à¤à¤¸à¥‡ मिलने मेरे पास...." 'वन-वे इशà¥à¥˜'